मैं नारी हू नादान नहीं
तृष्णाओं का सामान नहीं
रचती हूं जग की हर रचना
पालन करती हूं आंचल में
पीती हू आंसू पल पल मैं
पीड़ाओं से अनजान नहीं
मैं नारी हू नादान नहीं।
अंकुर देती वसुधा बनकर
सिंचित करती बारिश बनकर
सदियों से अडिग प्रहरी बनकर
फिर भी मेरा सम्मान नहीं
मैं नारी हूं नादान नहीं।
ये भी पढ़ें 👉 ओ वुझैत अछि हमरा निरीह आ लाचार
भक्ति में मगन मीरा की तरह
शक्ति में प्रखर दुर्गा की तरह
पावन करती गंगा की तरह
अब रुकना मेरा काम नहीं
मैं नारी हूं नादान नहीं।
मैं सृष्टि के कण कण में हूं
पाताल आे नील गगन में हूं
मैं हर निश्छल धड़कन में हूं
मेरी राहों में शाम नहीं।
मैं नारी हूं नादान नहीं
तृष्नाओं का सामान नहीं।।
🙏#सोनी #चौधरी🙏
*****************************
निचा में FOLLOW बटन के जरूर दबा देब जाही सॉ नवका पोस्ट अहाँ पहिने पढ़ि सकि ! आ कमेंट में जय मिथिला जय माँ जानकी सेहो लिख सकी त बहुत नीक लागत !!
तृष्णाओं का सामान नहीं
रचती हूं जग की हर रचना
पालन करती हूं आंचल में
पीती हू आंसू पल पल मैं
पीड़ाओं से अनजान नहीं
मैं नारी हू नादान नहीं।
अंकुर देती वसुधा बनकर
सिंचित करती बारिश बनकर
सदियों से अडिग प्रहरी बनकर
फिर भी मेरा सम्मान नहीं
मैं नारी हूं नादान नहीं।
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भक्ति में मगन मीरा की तरह
शक्ति में प्रखर दुर्गा की तरह
पावन करती गंगा की तरह
अब रुकना मेरा काम नहीं
मैं नारी हूं नादान नहीं।
मैं सृष्टि के कण कण में हूं
पाताल आे नील गगन में हूं
मैं हर निश्छल धड़कन में हूं
मेरी राहों में शाम नहीं।
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तृष्नाओं का सामान नहीं।।
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