आज का हिन्दू पंचांग 23 अक्टूबर 2018

🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞

⛅ *दिनांक 23 अक्टूबर 2018*
⛅ *दिन - मंगलवार* 
⛅ *विक्रम संवत - 2075 (गुजरात. 2074)*
⛅ *शक संवत -1940*
⛅ *अयन - दक्षिणायन*
⛅ *ऋतु - हेमंत*
⛅ *मास - अश्विन*
⛅ *पक्ष - शुक्ल*   
⛅ *तिथि -  चतुर्दशी रात्रि 10:26 तक तत्पश्चात पूर्णिमा*
⛅ *नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद सुबह 10:45  तक तत्पश्चात रेवती*
⛅ *योग - व्याघात सुबह 11:27 तक तत्पश्चात हर्षण*
⛅ *राहुकाल - शाम 03:13 से शाम 04:39 तक* 
⛅ *सूर्योदय - 06:38*
⛅ *सूर्यास्त - 18:07* 
⛅ *दिशाशूल - उत्तर दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण - हेमंत ऋतु प्रारंभ*
💥 *विशेष - चतुर्दशी और पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
               🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞

🌷 *हेमंत ऋतु* 🌷
👉🏻 *पथ्य आहार :- वातनाशक, मधुर, खट्टा, कड़वा, तीखा, घर की बनी मिठाई, दूध, ताजी दही, मट्ठा, मलाई, रबड़ी, नये चावल, उड़द के बड़े पकोड़े, गाजर, टमाटर, बीट, काला चना, खजूर, सूखा  मेवा, मक्खन, घी, दूध से बनी खीर, गेहूँ के आटे से बने पदार्थ, उड़द दाल, गरम जल, ऋतुनुसार हरि सब्जियाँ जैसे कि पालक, मेथी, सरसों, मकाई का आटा एवं रसयुक्त पदार्थों का सेवन करें ।*
👉🏻 *पथ्य विहार :- वातनाशक तेल से मालिश करें ।आँवला, तिल के उबटन से स्नान, व्यायाम तथा सुबह की सूर्यकिरणों का सेवन करें ।*
👉🏻 *अपथ्य आहार :- सूखे चने, सूखे मटर, मुरमुरे जैसे वातवर्धक और रुखे पदार्थ तथा ठंडे पेय-पदार्थ का सेवन न करें ।*
👉🏻 *अपथ्य विहार :- ठंडी हवा का सेवन ।*
   🌷 *स्वास्थ्यप्रद नुस्खे* 🌷
1⃣ *सोंठ, गुड़ और घी को मिक्स करके गोलियाँ बनायें और रोज सुबह दो गोलियाँ खायें ।*
2⃣ *सुबह 5 से 10 ग्राम काले तिल व गुड़ का खाली पेट सेवन करें ।*
3⃣ *रात को एक मुट्ठी काले चने व दो खजूर पानी में भिगोकर रखें और सुबह चबा-चबाकर खायें ।*

             🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞

🌷 *हेमन्त और शिशिर की ऋतुचर्या* 🌷
➡ *23 अक्टूबर 2018 मंगलवार से हेमन्त ऋतु प्रारंभ।*
➡ *शीतकाल आदानकाल और विसर्गकाल दोनों का सन्धिकाल होने से इनके गुणों का लाभ लिया जा सकता है क्योंकि विसर्गकाल की पोषक शक्ति हेमन्त ऋतु हमारा साथ देती है। साथ ही शिशिर ऋतु में आदानकाल शुरु होता जाता है लेकिन सूर्य की किरणें एकदम से इतनी प्रखर भी नहीं होती कि रस सुखाकर हमारा शोषण कर सकें। अपितु आदानकाल का प्रारम्भ होने से सूर्य की हल्की और प्रारम्भिक किरणें सुहावनी लगती हैं।*
➡ *शीतकाल में मनुष्य को प्राकृतिक रूप से ही उत्तम बल प्राप्त होता है। प्राकृतिक रूप से बलवान बने मनुष्यों की जठराग्नि ठंडी के कारण शरीर के छिद्रों के संकुचित हो जाने से जठर में  सुरक्षित रहती है जिसके फलस्वरूप अधिक प्रबल हो जाती है। यह प्रबल हुई जठराग्नि ठंड के कारण उत्पन्न वायु से और अधिक भड़क उठती है। इस भभकती अग्नि को यदि आहाररूपी ईंधन कम पड़े तो वह शरीर की धातुओं को जला देती है। अतः शीत ऋतु में खारे, खट्टे मीठे पदार्थ खाने-पीने चाहिए। इस ऋतु में शरीर को बलवान बनाने के लिए पौष्टिक, शक्तिवर्धक और गुणकारी व्यंजनों का सेवन करना चाहिए।*
➡ *इस ऋतु में घी, तेल, गेहूँ, उड़द, गन्ना, दूध, सोंठ, पीपर, आँवले, वगैरह में से बने स्वादिष्ट एवं पौष्टिक व्यंजनों का सेवन करना चाहिए। यदि इस ऋतु में जठराग्नि के अनुसार आहार न लिया जाये तो वायु के प्रकोपजन्य रोगों के होने की संभावना रहती है। जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी न हो उन्हें रात्रि को भिगोये हुए देशी चने सुबह में नाश्ते के रूप में खूब चबा-चबाकर खाना चाहिए। जो शारीरिक परिश्रम अधिक करते हैं उन्हें केले, आँवले का मुरब्बा, तिल, गुड़, नारियल, खजूर आदि का सेवन करना अत्यधिक लाभदायक है।*
➡ *एक बात विशेष ध्यान में रखने जैसी है कि इस ऋतु में रात लंबी और ठंडी होती है।  अतः केवल इसी ऋतु में आयुर्वेद के ग्रंथों में सुबह नाश्ता करने के लिए कहा गया है, अन्य ऋतुओं में नहीं।*
➡ *अधिक जहरीली (अंग्रेजी) दवाओं के सेवन से जिनका शरीर दुर्बल हो गया हो उनके लिए भी विभिन्न औषधि प्रयोग जैसे कि अभयामल की रसायन, वर्धमान पिप्पली प्रयोग, भल्लातक रसायन, शिलाजित रसायन, त्रिफला रसायन, चित्रक रसायन, लहसुन के प्रयोग वैद्य से पूछ कर किये जा सकते हैं।*
➡ *जिन्हें कब्जियत की तकलीफ हो उन्हें सुबह खाली पेट हरड़े एवं गुड़ अथवा यष्टिमधु एवं त्रिफला का सेवन करना चाहिए। यदि शरीर में पित्त हो तो पहले एक टुकी चूर्ण एवं मिश्री लेकर उसे निगद लें । सुदर्शन चूर्ण अथवा गोली थोड़े दिन खायें।*
➡ *विहारः आहार के साथ विहार एवं रहन-सहन में भी सावधानी रखना आवश्यक है। इस ऋतु में शरीर को बलवान बनाने के लिए तेल की मालिश करनी चाहिए। चने के आटे, लोध्र अथवा आँवले के उबटन का प्रयोग लाभकारी है। कसरत करना अर्थात् दंड-बैठक लगाना, कुश्ती करना, दौड़ना, तैरना आदि एवं प्राणायाम और योगासनों का अभ्यास करना चाहिए। सूर्य नमस्कार, सूर्यस्नान एवं धूप का सेवन इस ऋतु में लाभदायक है। शरीर पर अगर का लेप करें। सामान्य गर्म पानी से स्नान करें किन्तु सिर पर गर्म पानी न डालें। कितनी भी ठंडी क्यों न हो सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए। रात्रि में सोने से हमारे शरीर में जो अत्यधिक गर्मी उत्पन्न होती है वह स्नान करने से बाहर निकल जाती है जिससे शरीर में स्फूर्ति का संचार होता है।*
➡ *सुबह देर तक सोने से यही हानि होती है कि शरीर की बढ़ी हुई गर्मी सिर, आँखों, पेट, पित्ताशय, मूत्राशय, मलाशय, शुक्राशय आदि अंगों पर अपना खराब असर करती है जिससे अलग-अलग प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं। इस प्रकार सुबह जल्दी उठकर स्नान करने से इन अवयवों को रोगों से बचाकर स्वस्थ रखा जा सकता है।*
➡ *गर्म-ऊनी वस्त्र पर्याप्त मात्रा में पहनना, अत्यधिक ठंड से बचने हेतु रात्रि को गर्म कंबल ओढ़ना, रजाई आदि का उपयोग करना, गर्म कमरे में सोना, अलाव तापना लाभदायक है।*
➡ *अपथ्यः इस ऋतु में अत्यधिक ठंड सहना, ठंडा पानी, ठंडी हवा, भूख सहना, उपवास करना, रूक्ष, कड़वे, कसैले, ठंडे एवं बासी पदार्थों का सेवन, दिवस की निद्रा, चित्त को काम, क्रोध, ईर्ष्या, द्वेष से व्याकुल रखना हानिकारक है।*

             🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🙏🍀🌷🌻🌺🌸🌹🍁🙏
SHARE

Gopal Sharma

Hi. I’m maithili blogger. I’m CEO/Founder of maithilifans.in. I’m posted hindu punchang, maithili poem hin di , result, political news, funny jokes quets, bhakti, Business , hd wallpapers, helth tips, my madhubani page admin. maithili film city youtube chainal .

  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

Post a Comment