ओ बुझै छथि हमरा निरीह आ लाचार : कवियत्री सोनी चौधरी


ओ बुझैत छथि हमरा
निरीह अा लाचार
हम त तेज क रहल छी
अप्पन कर्मक धार !

ओ नचबै छथि हमरा
मदारी जेकां
हम नाचैत छी हुनकाल मोरनी जेकां
जुरल अछी दूनू के सांसक तार
ओ बुझै छथि हमरा निरीह आ लाचार !!

हमर प्रेम पुनमक इजोरिया जेकां
हुनक स्नेह भोरक भुरुकबा जेकां
चोट मारै छथि सोना पर बनिके लोहार
ओ बुझै छथि हमरा निरीह आ लाचार !!

बड़ निर्मम अछी हमर ई प्रेमक कथा
आगी से आे खेलैत छथि
इहे अछी व्यथा
प्रेम बिलखैत अछि उलझन में
चहुंदिश अन्हार
ओ बुझै छथि हमरा निरीह अा लाचार !!

ओ त प्रेमक़ हारल छी, अा विधि क विधान
एही सृष्टि क पालन नहि एतेक आसान
विधना हमरे हाथ देने छथि नाव अा पतबार पर
ओ बुझै छथि हमरा निरीह अा लाचार !!

हम त तेज क रहल छी
#सोनी #चौधरी
अप्पन कर्मक धार।।🙏
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Gopal Sharma

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