धनतेरस २०१८ (2018) – धनतेरस पूजन विधि, शुभ मुहूर्त और कथा, मंत्र, एवं राशि अनुसार खरीदी..!
दीपावली के पहले लोग जानना चाहते हैं कि धनतेरस कब है ? अापकी जानकारी के लिए हम बताते हैं कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था, इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। जैन आगम में धनतेरस को ‘धन्य तेरस’ या ‘ध्यान तेरस’ भी कहते हैं। इसी दिन भगवान महावीर तीसरे और चौथे ध्यान में जाने के लिये योग निरोध के लिये चले गये थे। तीन दिन के ध्यान के बाद योग निरोध करते हुये दीपावली के दिन निर्वाण को प्राप्त हुये। तभी से यह दिन धन्य तेरस के नाम से जाना जाता है। इस साल धनतेरस ५ नवंबर को है। यह पर्व हिन्दू धर्म के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण त्यौहार दिवाली से ठीक दो दिन पहले मनाया जाता है जो पांच दिनों तक चलने वाले पर्व का सबसे पहला दिन होता है। यहां अाप धनतेरस पूजन विधि और मुहूर्त अादि की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
🕉️🚩 कैसे मनाते हैं धनतेरस :-
देव धनवन्तरी के अलावा इस दिन, देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर के पूजन की परंपरा है। इस दिन कुबेर के अलावा यमदेव को भी दीपदान किया जाता है। इस दिन यमदेव की पूजा करने के विषय में एक मान्यता है कि इस दिन यमदेव की पूजा करने से घर में अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। यमदेव की पूजा करने के बाद पूरी रात घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर दीपक जलाना चाहिए। इस दीपक में कुछ पैसा व कौड़ी भी डाली जाती है।
🕉️🚩 धनतेरस पर गहनें, बर्तन और वाहनों की खरीदारी शुभ :-
इस दिन नये उपहार, सिक्का, बर्तन वाहन और गहनों की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। लक्ष्मी व गणेश जी की चांदी की प्रतिमाओं को इस दिन घर लाना, घर- कार्यालय, व्यापारिक संस्थाओं में धन, सफलता व उन्नति को बढ़ाता है। इस दिन भगवान धनवन्तरी समुद्र से कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिये इस दिन खास तौर से बर्तनों की खरीदारी की जाती है। इस दिन सूखे धनिया के बीज खरीद कर घर में रखना भी परिवार की धन संपदा में वृद्धि करता है। इस दिन ज्वेलर्स के पास भी काफी भीड़ रहती है और लोग अपनी क्षमता के हिसाब से सामानों की खरीदारी करते हैं। इतना ही नहीं इस दिन वाहनों की भी जमकर खरीदारी होती है। लोग पहले से ही बुकिंग करवाकर रखते हैं और उस दिन वाहन घर ले अाते हैं। इसके लिए पंडित शुभ मुहूर्त भी बताते हैं।
🕉️🚩 दिवाली पर क्या है लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त जानिए :-
प्रदोष काल :-
सूर्यास्त के बाद के २ घंटे २४ मिनट के समय को प्रदोषकाल कहा जाता है। यम दीपदान और लक्ष्मी पूजन इसी मुहूर्त में करना चाहिए,
🕉️🚩 सांय काल में शुभ महूर्त :-
प्रदोष काल का समय शाम ५: ३१ से रात ८.०४ बजे तक, स्थिर लग्न शाम ६.१० बजे से रात ८.०९ बजे और धनतेरस पूजा के लिए समय शाम ६.१० बजे से रात ८.०४ बजे तक है।
🕉️🚩 चौघाडिया मुहूर्त :-
इस दौरान पूजा करने से लाभ होने की मान्यता है। इससे धन, स्वास्थ्य और आयु में बढ़ोतरी होती है।
अमृत काल मुहूर्त शाम ४.३० बजे से शाम ६ बजे तक
चर ५.५६ बजे से शाम ७.३० बजे तक
🕉️🚩 धनतेरस पूजन विधि :-
धन तेरस की पूजा शुभ मुहूर्त में करनी चाहिए। सबसे पहले तेरह दीपक जला कर तिजोरी में कुबेर का पूजन करना चाहिए। देव कुबेर का ध्यान करते हुए उन्हें फूल चढाएं। इसके बाद धूप, दीप, नैवेद्य से पूजन करें। इस दिन स्थिर लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है।
🕉️🚩 धनतेरस पर यम पूजा :-
धनतेरस के दिन यमदेव की पूजा की जाती है। माना जाता है की इस दिन यमदेव का पूजन करने से यमदेव हमें अकालमृत्यु का भय दूर करते हैं। इसलिए अकालमृत्यु से बचने के लिए धनतेरस को यमदेव की पूजा की जाती है। अब आइये जानते है यम पूजा विधि के बारे में या यम दीपक धनतेरस कैसे मानते है।
🕉️🚩 यम का दीया कैसे जलाये – यम पूजन विधि :-
पूजा दिन में नहीं बल्कि रात में होती है। यमराज की पूजा सिर्फ एक चौमुखी दीप जलाकर की जाती है।
इसके लिए आटे का दीपक बनाकर घर के मुख्य द्वार के दाईं ओर रख दिया जाता है। इस दीया को जमदीवा, जम का दीया या यमराज का दीपक भी कहा जाता है।
रात को घर की स्त्रियां दीपक में तेल डालकर नई रूई की बत्ती बनाकर, चार बत्तियां जलाती हैं । दीपक की बत्ती दक्षिण दिशा की ओर रखनी चाहिए।
दीपक जलाने से पहले उसकी जल, रोली, फूल, चावल, गुड़, नैवेद्य आदि से पूजा करनी चाहिए। घर में पहले से दीपक जलाकर यम का दीया ना निकालें।
धनतेरस का दीपक मृत्यु के नियंत्रक देव यमराज के निमित्त जलाया जाता है, इसलिए दीप जलाते समय पूर्ण श्रद्धा से उन्हें नमन करने के साथ ही यह भी प्रार्थना करें कि वे आपके परिवार पर दया दृष्टि बनाए रखें और किसी की अकाल मृत्यु न हो।
🕉️🚩 धनतेरस की कथा :-
किंवदंतियों के मुताबिक किसी राज्य में एक राजा था, जिसे कई वर्षों तक की प्रतीक्षा के बाद पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। राजा के पुत्र के बारे में किसी ज्योतिषी ने यह कहा कि, जिस दिन भी उसका विवाह होगा, उसके चार दिन बाद ही उसकी मृत्यु हो जायेगी। ज्योतिषी की यह बात सुनकर राजा को बेहद दु:ख हुआ। इससे बचने के लिये उसने राजकुमार को एसी जगह पर भेज दिया, जहां आस-पास कोई स्त्री न रहती हो। एक दिन वहां से एक राजकुमारी गुजरी। राजकुमार और राजकुमारी दोनों ने एक दूसरे को देखा और मोहित होकर आपस में विवाह कर लिया।
ज्योतिषी की भविष्यवाणी के अनुसार ठीक चार दिन बाद यमदूत राजकुमार के प्राण लेने आ पहुंचे। यमदूत को देख राजकुमार की पत्नी विलाप करने लगी। यह देख यमदूत ने यमराज से विनती की और कहा कि इसके प्राण बचाने का कोई उपाय बताइए। इस पर यमराज ने कहा की जो प्राणी कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी की रात मेरा पूजन कर दीप माला से दक्षिण दिशा की ओर मुंह वाला दीपक जलायेगा, उसे कभी अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा। तभी से इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाने की परंपरा है।
सागर मंथन से माता लक्ष्मी से दो दिन पहले उत्पन्न हुए धनवंतरी
शास्त्रों के अनुसार धनतेरस के दिन ही भगवान धनवंतरी सागर मंथन के बाद हाथों में स्वर्ण कलश लेकर उत्पन्न हुए। धनवंतरी ने कलश में भरे हुए अमृत से देवताओं को अमर बना दिया। धनवंतरी के उत्पन्न होने के दो दिनों बाद देवी लक्ष्मी प्रकट हुई, इसलिए दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार भगवान धनवंतरी देवताओं के वैद्य हैं और इनकी भक्ति और पूजा से आरोग्य सुख यानी स्वास्थ्य लाभ मिलता है। मान्यता है कि भगवान धनवंतरी विष्णु के अंशावतार हैं और संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरी का अवतार लिया था ।
🕉️🚩 कैसे करें धनतेरस की पूजा :-
१. सबसे पहले मिट्टी का हाथी और धन्वंतरि भगवानजी की फोटो स्थापित करें।
२. चांदी या तांबे की आचमनी से जल का आचमन करें।
३. भगवान गणेश का ध्यान और पूजन करें।
४. हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर भगवान धन्वंतरि का ध्यान करें।
🕉️🚩 पूजा के समय इस मंत्र का करें जप :-
देवान कृशान सुरसंघनि पीडितांगान, दृष्ट्वा दयालुर मृतं विपरीतु कामः
पायोधि मंथन विधौ प्रकटौ भवधो। धन्वन्तरि: स भगवानवतात सदा नः
ॐ धन्वन्तरि देवाय नमः ध्यानार्थे अक्षत पुष्पाणि समर्पयामि ।।
🕉️🚩 राशि अनुसार करें खरीदारी :-
🌺मेष राशि - चांदी के बर्तन एवं इलेक्ट्रानिक सामान खरीदना लाभदायक रहेगा।
🌺वृष राशि - चमकीले वस्त्र चांदी अथवा ताबें के बर्तन खरीदना शुभ रहेगा।
🌺मिथुन राशि - सोने के आभूषण, केसर, वाहन, खरीदना शुभ रहेगा।
🌺कर्क राशि - चांदी के आभूषण, सिक्के एवं घरेलू इलैक्ट्रिक सामान खरीदना उत्तम रहेगा।
🌺सिंह राशि - ताबें, कांसे के बर्तन,कपड़े एवं सोने की कोई चीज खरीदना शुभ रहेगा।
🌺कन्या राशि - गणेश जी की मरगज की मूर्ति, चांदी का सामान अथवा रसोई का सामान खरीदना शुभ रहेगा।
🌺तुला राशि - सौन्दर्य का सामान, चांदी के बर्तन, सिक्के या सोने का सामान, अथवा सजावटी सामान खरीदना शुभ फलदायक रहेगा।
🌺वृश्चिक राशि - इलैक्ट्राॅनिक उपकरण सोने के आभूषण खरीदना शुभ रहेगा।
🌺धनु राशि - सुगंधित सामान, सोने के सिक्के, आभूषण अथवा सोने का सामान खरीदना शुभ रहेगा।
🌺मकर राशि - वाहन, कपड़े, चांदी के बर्तन, आभूषण खरीदना शुभ रहेगा।
🌺कुंभ राशि - प्रसाधन के सामान, दो पहिया वाहन, सौन्दर्य प्रसाधन का सामान खरीदना शुभ होगा।
🌺मीन राशि - चांदी के सिक्के, सोना, चांदी के बर्तन एवं इलैक्ट्रानिक उपकरण खरीदना लाभदायक रहेगा।
🙏🕉️🚩 सुनील झा 'मैथिल'
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