🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞
⛅ *दिनांक 26 अक्टूबर 2018*
⛅ *दिन - शुक्रवार*
⛅ *विक्रम संवत - 2075 {दरभंगा}
⛅ *शक संवत -1940*
⛅ *अयन - दक्षिणायन*
⛅ *ऋतु - हेमंत*
⛅ *मास - कार्तिक (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार अश्विन)*
⛅ *पक्ष - कृष्ण*
⛅ *तिथि - द्वितीया रात्रि 08:09 तक तत्पश्चात तृतीया*
⛅ *नक्षत्र - भरणी सुबह 09:03 तक तत्पश्चात कृत्तिका*
⛅ *योग - व्यतिपात 27 अक्टूबर प्रातः 03:44 तक तत्पश्चात वरीयान्*
⛅ *राहुकाल - सुबह 10:57 से दोपहर 12:22 तक*
⛅ *सूर्योदय - 06:38*
⛅ *सूर्यास्त - 18:06*
⛅ *दिशाशूल - पश्चिम दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण - संत नामदेवजी जयंती (दि.अ.)*
💥 *विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🌷 *व्यतिपात योग* 🌷
🙏🏻 *व्यतिपात योग की ऐसी महिमा है कि उस समय जप पाठ प्राणायम, माला से जप या मानसिक जप करने से भगवान की और विशेष कर भगवान सूर्यनारायण की प्रसन्नता प्राप्त होती है जप करने वालों को, व्यतिपात योग में जो कुछ भी किया जाता है उसका १ लाख गुना फल मिलता है।*
🙏🏻 *वाराह पुराण में ये बात आती है व्यतिपात योग की।*
🙏🏻 *व्यतिपात योग माने क्या कि देवताओं के गुरु बृहस्पति की धर्मपत्नी तारा पर चन्द्र देव की गलत नजर थी जिसके कारण सूर्य देव अप्रसन्न हुए नाराज हुए, उन्होनें चन्द्रदेव को समझाया पर चन्द्रदेव ने उनकी बात को अनसुना कर दिया तो सूर्य देव को दुःख हुआ कि मैने इनको सही बात बताई फिर भी ध्यान नहीं दिया और सूर्यदेव को अपने गुरुदेव की याद आई कि कैसा गुरुदेव के लिये आदर प्रेम श्रद्धा होना चाहिये पर इसको इतना नही थोडा भूल रहा है ये, सूर्यदेव को गुरुदेव की याद आई और आँखों से आँसू बहे वो समय व्यतिपात योग कहलाता है। और उस समय किया हुआ जप, सुमिरन, पाठ, प्रायाणाम, गुरुदर्शन की खूब महिमा बताई है वाराह पुराण में।*
💥 *विशेष ~ व्यतिपात योग - 26 अक्टूबर 2018 शुक्रवार को प्रातः 05:50 से 27 अक्टूबर, शनिवार को प्रातः 03:44 तक व्यतिपात योग है।*
🙏🏻 *कथा स्रोत - बडोदा २००८ में १२ नवम्बर को सुबह के दीक्षा सत्र में (स्वामी सुरेशानन्द जी के सत्संग से)*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🌷 *कार्तिक में दीपदान* 🌷
➡ *24 अक्टूबर से 23 नवम्बर तक कार्तिक मास है ।*
💥 *विशेष ~ गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार अभी अश्विन मास है ।*
🙏🏻 *महापुण्यदायक तथा मोक्षदायक कार्तिक के मुख्य नियमों में सबसे प्रमुख नियम है दीपदान। दीपदान का अर्थ होता है आस्था के साथ दीपक प्रज्वलित करना। कार्तिक में प्रत्येक दिन दीपदान जरूर करना चाहिए।*
🙏🏻 **पुराणों में वर्णन मिलता है।*
🌷 *“हरिजागरणं प्रातःस्नानं तुलसिसेवनम् । उद्यापनं दीपदानं व्रतान्येतानि कार्तिके।।“ (पद्मपुराण, उत्तरखण्ड, अध्याय 115)*
🌷 *“स्नानं च दीपदानं च तुलसीवनपालनम् । भूमिशय्या ब्रह्मचर्य्यं तथा द्विदलवर्जनम् ।।*
*विष्णुसंकीर्तनं सत्यं पुराणश्रवणं तथा । कार्तिके मासि कुर्वंति जीवन्मुक्तास्त एव हि ।।” (स्कन्दपुराण, वैष्णवखण्ड, कार्तिकमासमाहात्म्यम, अध्याय 03)*
🙏🏻 *पद्मपुराण उत्तरखंड, अध्याय 121 में कार्तिक में दीपदान की तुलना अश्वमेध यज्ञ से की है :*
🌷 *घृतेन दीपको यस्य तिलतैलेन वा पुनः। ज्वलते यस्य सेनानीरश्वमेधेन तस्य किम्।*
➡ *कार्तिक में घी अथवा तिल के तेल से जिसका दीपक जलता रहता है, उसे अश्वमेध यज्ञ से क्या लेना है।*
🙏🏻 *अग्निपुराण के 200 वे अध्याय के अनुसार*
🌷 *दीपदानात्परं नास्ति न भूतं न भविष्यति*
➡ *दीपदान से बढ़कर न कोई व्रत है, न था और न होगा ही*
🙏🏻 *स्कंदपुराण, वैष्णवखण्ड के अनुसार*
🌷 *सूर्यग्रहे कुरुक्षेत्रे नर्मदायां शशिग्रहे ।। तुलादानस्य यत्पुण्यं तदत्र दीपदानतः ।।*
➡ *कुरुक्षेत्र में सूर्यग्रहण के समय और नर्मदा में चन्द्रग्रहण के समय अपने वजन के बराबर स्वर्ण के तुलादान करने का जो पुण्य है वह केवल दीपदान से मिल जाता है।*
🔥 *कार्तिक में दीपदान का एक मुख्य उद्देश्य पितरों का मार्ग प्रशस्त करना भी है।*
🌷 *"तुला संस्थे सहस्त्राशौ प्रदोषे भूतदर्शयोः*
*उल्का हस्ता नराः कुर्युः पितृणाम् मार्ग दर्शनम्।।"*
➡ *पितरों के निमित्त दीपदान जरूर करें।* *
🙏🏻 *पद्मपुराण, उत्तरखंड, अध्याय 123 में महादेव कार्तिक में दीपदान का माहात्म्य सुनाते हुए अपने पुत्र कार्तिकेय से कहते हैं ।*
🌷 *शृणु दीपस्य माहात्म्यं कार्तिके शिखिवाहन। पितरश्चैव वांच्छंति सदा पितृगणैर्वृताः।।*
*भविष्यति कुलेऽस्माकं पितृभक्तः सुपुत्रकः। कार्तिके दीपदानेन यस्तोषयति केशवम्।।*
➡ *“मनुष्य के पितर अन्य पितृगणों के साथ सदा इस बात की अभिलाषा करते हैं कि क्या हमारे कुल में भी कोई ऐसा उत्तम पितृभक्त पुत्र उत्पन्न होगा, जो कार्तिक में दीपदान करके श्रीकेशव को संतुष्ट कर सके। ”*
👉🏻 *शेष कल.......*
📖 *हिन्दू पंचांग संपादक ~ अंजनी निलेश ठक्कर*
📒 *हिन्दू पंचांग प्रकाशित स्थल ~ सुरत शहर (गुजरात)*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🙏🍀🌷🌻🌺🌸🌹🍁🙏
⛅ *दिनांक 26 अक्टूबर 2018*
⛅ *दिन - शुक्रवार*
⛅ *विक्रम संवत - 2075 {दरभंगा}
⛅ *शक संवत -1940*
⛅ *अयन - दक्षिणायन*
⛅ *ऋतु - हेमंत*
⛅ *मास - कार्तिक (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार अश्विन)*
⛅ *पक्ष - कृष्ण*
⛅ *तिथि - द्वितीया रात्रि 08:09 तक तत्पश्चात तृतीया*
⛅ *नक्षत्र - भरणी सुबह 09:03 तक तत्पश्चात कृत्तिका*
⛅ *योग - व्यतिपात 27 अक्टूबर प्रातः 03:44 तक तत्पश्चात वरीयान्*
⛅ *राहुकाल - सुबह 10:57 से दोपहर 12:22 तक*
⛅ *सूर्योदय - 06:38*
⛅ *सूर्यास्त - 18:06*
⛅ *दिशाशूल - पश्चिम दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण - संत नामदेवजी जयंती (दि.अ.)*
💥 *विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🌷 *व्यतिपात योग* 🌷
🙏🏻 *व्यतिपात योग की ऐसी महिमा है कि उस समय जप पाठ प्राणायम, माला से जप या मानसिक जप करने से भगवान की और विशेष कर भगवान सूर्यनारायण की प्रसन्नता प्राप्त होती है जप करने वालों को, व्यतिपात योग में जो कुछ भी किया जाता है उसका १ लाख गुना फल मिलता है।*
🙏🏻 *वाराह पुराण में ये बात आती है व्यतिपात योग की।*
🙏🏻 *व्यतिपात योग माने क्या कि देवताओं के गुरु बृहस्पति की धर्मपत्नी तारा पर चन्द्र देव की गलत नजर थी जिसके कारण सूर्य देव अप्रसन्न हुए नाराज हुए, उन्होनें चन्द्रदेव को समझाया पर चन्द्रदेव ने उनकी बात को अनसुना कर दिया तो सूर्य देव को दुःख हुआ कि मैने इनको सही बात बताई फिर भी ध्यान नहीं दिया और सूर्यदेव को अपने गुरुदेव की याद आई कि कैसा गुरुदेव के लिये आदर प्रेम श्रद्धा होना चाहिये पर इसको इतना नही थोडा भूल रहा है ये, सूर्यदेव को गुरुदेव की याद आई और आँखों से आँसू बहे वो समय व्यतिपात योग कहलाता है। और उस समय किया हुआ जप, सुमिरन, पाठ, प्रायाणाम, गुरुदर्शन की खूब महिमा बताई है वाराह पुराण में।*
💥 *विशेष ~ व्यतिपात योग - 26 अक्टूबर 2018 शुक्रवार को प्रातः 05:50 से 27 अक्टूबर, शनिवार को प्रातः 03:44 तक व्यतिपात योग है।*
🙏🏻 *कथा स्रोत - बडोदा २००८ में १२ नवम्बर को सुबह के दीक्षा सत्र में (स्वामी सुरेशानन्द जी के सत्संग से)*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🌷 *कार्तिक में दीपदान* 🌷
➡ *24 अक्टूबर से 23 नवम्बर तक कार्तिक मास है ।*
💥 *विशेष ~ गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार अभी अश्विन मास है ।*
🙏🏻 *महापुण्यदायक तथा मोक्षदायक कार्तिक के मुख्य नियमों में सबसे प्रमुख नियम है दीपदान। दीपदान का अर्थ होता है आस्था के साथ दीपक प्रज्वलित करना। कार्तिक में प्रत्येक दिन दीपदान जरूर करना चाहिए।*
🙏🏻 **पुराणों में वर्णन मिलता है।*
🌷 *“हरिजागरणं प्रातःस्नानं तुलसिसेवनम् । उद्यापनं दीपदानं व्रतान्येतानि कार्तिके।।“ (पद्मपुराण, उत्तरखण्ड, अध्याय 115)*
🌷 *“स्नानं च दीपदानं च तुलसीवनपालनम् । भूमिशय्या ब्रह्मचर्य्यं तथा द्विदलवर्जनम् ।।*
*विष्णुसंकीर्तनं सत्यं पुराणश्रवणं तथा । कार्तिके मासि कुर्वंति जीवन्मुक्तास्त एव हि ।।” (स्कन्दपुराण, वैष्णवखण्ड, कार्तिकमासमाहात्म्यम, अध्याय 03)*
🙏🏻 *पद्मपुराण उत्तरखंड, अध्याय 121 में कार्तिक में दीपदान की तुलना अश्वमेध यज्ञ से की है :*
🌷 *घृतेन दीपको यस्य तिलतैलेन वा पुनः। ज्वलते यस्य सेनानीरश्वमेधेन तस्य किम्।*
➡ *कार्तिक में घी अथवा तिल के तेल से जिसका दीपक जलता रहता है, उसे अश्वमेध यज्ञ से क्या लेना है।*
🙏🏻 *अग्निपुराण के 200 वे अध्याय के अनुसार*
🌷 *दीपदानात्परं नास्ति न भूतं न भविष्यति*
➡ *दीपदान से बढ़कर न कोई व्रत है, न था और न होगा ही*
🙏🏻 *स्कंदपुराण, वैष्णवखण्ड के अनुसार*
🌷 *सूर्यग्रहे कुरुक्षेत्रे नर्मदायां शशिग्रहे ।। तुलादानस्य यत्पुण्यं तदत्र दीपदानतः ।।*
➡ *कुरुक्षेत्र में सूर्यग्रहण के समय और नर्मदा में चन्द्रग्रहण के समय अपने वजन के बराबर स्वर्ण के तुलादान करने का जो पुण्य है वह केवल दीपदान से मिल जाता है।*
🔥 *कार्तिक में दीपदान का एक मुख्य उद्देश्य पितरों का मार्ग प्रशस्त करना भी है।*
🌷 *"तुला संस्थे सहस्त्राशौ प्रदोषे भूतदर्शयोः*
*उल्का हस्ता नराः कुर्युः पितृणाम् मार्ग दर्शनम्।।"*
➡ *पितरों के निमित्त दीपदान जरूर करें।* *
🙏🏻 *पद्मपुराण, उत्तरखंड, अध्याय 123 में महादेव कार्तिक में दीपदान का माहात्म्य सुनाते हुए अपने पुत्र कार्तिकेय से कहते हैं ।*
🌷 *शृणु दीपस्य माहात्म्यं कार्तिके शिखिवाहन। पितरश्चैव वांच्छंति सदा पितृगणैर्वृताः।।*
*भविष्यति कुलेऽस्माकं पितृभक्तः सुपुत्रकः। कार्तिके दीपदानेन यस्तोषयति केशवम्।।*
➡ *“मनुष्य के पितर अन्य पितृगणों के साथ सदा इस बात की अभिलाषा करते हैं कि क्या हमारे कुल में भी कोई ऐसा उत्तम पितृभक्त पुत्र उत्पन्न होगा, जो कार्तिक में दीपदान करके श्रीकेशव को संतुष्ट कर सके। ”*
👉🏻 *शेष कल.......*
📖 *हिन्दू पंचांग संपादक ~ अंजनी निलेश ठक्कर*
📒 *हिन्दू पंचांग प्रकाशित स्थल ~ सुरत शहर (गुजरात)*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🙏🍀🌷🌻🌺🌸🌹🍁🙏
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