नीतीश जी, ये कैसा बिहार बना दिया है आपने। सत्ता मोह में आपकी संवेदना मर चुकी है। कम से कम कुछ तो शर्म ही कर लीजिए।

नीतीश कुमार जी, क्‍या आपको इस मां का दर्द नहीं दिखता है। ये उसी मासूम नैंसी के परिजन हैं, जिसका बलात्‍कार के बाद वीभत्‍स हत्‍या कर दी गई। और आपकी पुलिस ने आनन - फनन में घटना को दबाने की कोशिश में लग गई। 

हद तो ये है कि प्रशासन दोषियों पर कार्रवाई करने की जगह नैंसी के परिजनों पर ही दवाब बना रहे हैं। नीतीश जी, ये कैसा बिहार बना दिया है आपने। सत्ता मोह में आपकी संवेदना मर चुकी है। कम से कम कुछ तो शर्म ही कर लीजिए। 
https://youtu.be/d2UsbR60zMU
"माँ मैं नैन्सी हूँ"
" फिर से तुम्हारे कोख में आई हूँ"
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माँ... मैं बहोत खुश हूँ...
कुछ दिनों बाद मैं तुम्हें देख सकूंगी..
तुमने जो मुझे स्त्री होने का अस्तित्व दिया है
बेहिसाब खुशियों का ख़ज़ाना दिया है..
मैं झूम रही हूँ माँ,
 बहोत खुश और सुकून से
तुम्हारे गर्भ में हूँ माँ..
कितना मीठा इंतजार है
पापा, बाबा, भाई, काका
सबसे मिलने का...
उनकी गोद में खेलूँगी
उनके हाथ पकड़ बड़ी होऊँगी..
मैं चाहती हूं खुले आकाश में उड़ना
तुम्हें बहोत बहोत धन्यावाद माँ...
मैं नैन्सी हूँ माँ...
तुम्हारे कोख में फिर से आई हूँ
पर अब मैं डरती हूँ
दुनिया में आने से..
तुम्हें नहीं देख सकती
रोती बिलखती...
तुम कभी सुकून से नहीं रह सकती
मेरे जनम के बाद..
तुम्हें मेरा बचपन छुपाना होगा
मेरे बढ़ते हुए वक्ष को देख घबराना होगा....
तुम्हें हर रिश्तों से मुझे बचाना होगा...
रहने दो माँ मुझे यहीं...
या मार डालो..
मैं एक बार मर जाना
पसंद कर ली,
पर तुम्हें हर बार मरते नहीं देख सकती...
निर्भया और नैन्सी की तरह
आपको यूँ नहीं छोड़ सकती
रोती, बिलखती और तड़पती...
मुझे गर्भ में ही मार डालो,
माँ... मुझे मार डालो...
मैं भयभीत हूँ, हैरान हूँ
तुम्हारी बेटी सुरक्षित नहीं है माँ...
देश सुरक्षित नहीं, परिवार सुरक्षित नहीं
कहाँ रहूँगी मैं...????
मेरी उम्र और रिश्तों को नहीं
मेरी लड़की जात को देखेंगे सारे...
हैवानियत की सभी हदें पार करेगे सारे
क्या तुम मुझे खून में सना देख पाओगी..
जिस जिस्म को तुम अपने प्यार से
सींच कर मखमली बनाई...
क्या उसकी बोटी बोटी समेट सकोगी
नहीं माँ मैं अब नहीं आना चाहती...
तुम्हारे गर्भ में हीं दम तोड़ रहीं हूँ...
मैं नैन्सी हूँ माँ.. फिर तुम्हारे कोख में आई हूँ
फिर से जनम नहीं लेना चाहती.
मार दो माँ मुझे या यहीं
गर्भ में रहने दो...

लिखना तो बहोत चाहती हूँ. पर मेरी आँखें भी अपकी हीं तरह भर आईं हैं. शायद अब धरती को भी बोझ लगती हैं बेटियाँ. ऐसे दरिंदों के लिए तुम फटती क्यों नहीं धरती माँ. समा लो उन भेड़ियों को जो दरिंदगी की हदें पार कर रहे हैं..... ईश्वर उस बच्ची को फिर से जनम दे. पर दुर्गा के रूप में. अब फिर से महिषासुर वध होना जरुरी है.
........ RAGINII.....
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Gopal Sharma

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