पानी पीने के भी हैं कुछ खास नियम और सही तरीके
पानी पीने के सही तरीको और नियमो का पालन करके शरीर को बहुत सारे रोगों से मुक्त रखा जा सकता है | जैसा की आप सभी को ज्ञात होगा की मनुष्य के शरीर के पूरे वजन का लगभग दो तिहाई भाग पानी है, इसी से पानी की महत्वत्ता का पता चलता है | समान्य अवस्था में हमारे शरीर में प्रतिदिन प्राय: 2.6 लीटर पानी खर्च होता है। गुर्दो से 1.5 लीटर , त्वचा से 650 मि. ली., फेफड़ों से 320 मि.ली. और मल आदि में 130 मि.ली. पानी खर्च होता है जिसकी पूर्ति भोजन में रहने वाले जलांश से होती है फिर भी संतुलन बनाए रखने के लिए कम-से-कम 2.5 लीटर पानी प्रतिदिन पीना आवश्यक है। पानी की शरीर को जरुरत बहुत सारे कारको पर निर्भर करती है जैसे जलवायु , शारीरिक स्वास्थ्य , शारीरिक मेहनत , शरीर का भार आदि | इस पोस्ट में हम मुख्य रूप से निम्नलिखित विषयों पर जानकारी देंगे |
कितना पानी पीना चाहिए?पानी पीने का सही तरीकापानी कब पियें ?पानी कब ना पियें ?पानी कब अधिक पियें ?कितना पानी पीना चाहिए ?
पानी कैसे पियें ?तथा पानी पीने के नियम |
पानी एक साथ नहीं, धीरे-धीरे, घूंट-घूंट पीना चाहिए ताकि शरीर के तापमान के अनुसार वह पेट में पहुँचे। शरीर के तापमान के अनुसार ही पानी पीना चाहिए |कोशिश करें की प्लास्टिक से बने गिलास या बोतल से पानी न पियें |गिलास या बर्तन को होंठों से लगाकर पानी पीने के बजाए ऊपर से सीधे मुँह में डालकर पानी पीने का प्रचलन बढ़ता जा रहा है। इससे पेट की बीमारियों की आशंका बनी रहती है। पानी ऊपर से या एक साथ पीना मुँह से लेकर गुदा द्वार तक की आहार नाल में वायुदोष पैदा करता है और हवा ऊपर उठकर बदहजमी, खट्टी डकारें, अपच, जी मिचलाने जैसी बीमारियाँ हो जाती हैं।पानी की शुद्धता– पानी में तुलसी के पते डाले रखें। इससे पानी शुद्ध रहता है।
कितना पानी पीना चाहिए?
गर्म जलवायु में रहने वाले लोगो को कम से कम आठ लीटर पानी पीना चाहिए।बीमारी के समय भी पीना चाहिए, जिससे शरीर के अंदर ठण्डक पहुँचे और शरीर का तंत्र फिर शुरू हो जाए। एक स्वस्थ शरीर ही बीमारी से लड़ सकता है।पानी को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बार-बार पीना स्वास्थ्य के लिए हितकर माना गया है। प्यास के समय इच्छा के विपरीत बेहद दूँस-ढूँसकर पानी पीना हानिकारक होता है।भोजन, और घर से बाहर निकलने से पहले तीन घूंट पानी अवश्य पियें।सुबह नींद से उठते ही खाली पेट 2 गिलास हल्का गर्म पानी पीएं। क्योंकि नींद के दौरान लम्बे समय तक ताजा पानी शरीर के अंगो तक कम मात्रा में ही पंहुचता है जिससे विभिन्न अशुद्धियो की मात्रा बढ़ जाती है |सुबह पानी पीने से आपके शरीर की सारी गंदगियां पेशाब के जरिए बाहर निकलेगी और आपके शरीर के सारे अंग सुचारू रूप से काम करेंगे।रात को सोने से पहले तीन घूंट पानी पीना, स्वास्थ्यवर्धक होता है। दिन में ज्यादा पानी पीयें और जैसे जैसे शाम होने लगे, पानी की मात्रा को कम कर देना चाहिए, इससे आपको बार बार बाथरूम की ओर जाने की जरुरत महसूस होगी और आपकी नींद में व्यवधान पड़ेगा |देखें हमारा यह लेख – गहरी नींद के लिए आजमाए ये 26 टिप्स |स्नान- वृद्ध और कमजोर, बीमार मनुष्यों को छोड़कर, गर्म पानी की अपेक्षा ठण्डे जल से नहाना सबसे अच्छा होता है, चाहे मौसम सर्दी का ही क्यों न हो।ठण्डा स्नान शरीर व मन को अधिक ताजगी और सुखद अहसास कराता है।सप्ताह में एक बार शरीर पर पानी की भाप अवश्य देनी चाहिये। इससे शरीर की सफाई हो जाती है, रोम छिद्र खुल जाते हैं और शरीर की गन्दगी बाहर निकल कर (Skin) त्वचा पर चमक आ जाती है। दही से सवारें त्वचा और बालों को 22 टिप्स
पानी कब न पियें ?-
किसी भी गर्म भोजन, खीरा, खरबूजा, ककड़ी खाने के बाद, सोकर उठने के तुरन्त बाद चाहे दिन हो या रात, गर्म दूध या चाय पीने के बाद, धूप से आने के बाद तुरन्त पानी नहीं पीना चाहिए।भोजन करने के तुरंत बाद पानी कभी नहीं पीना चाहिए इससे आंतो में मौजूद पाचन रस पानी मिलने से अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पता है | कम से कम एक घंटे बाद पानी पियें |भोजन करने के पश्चात अगर पानी पीने की ज्यादा इच्छा हो तो जूस , दूध,लस्सी या दही लें |
पानी कब पियें ?-
पानी पीने का सही समय – भोजन से पहले पानी पीने से पाचनशक्ति कम हो जाती है, शरीर पतला होता है। भोजन के बीच में 5-6 घूंट पानी पीने से भोजन जल्दी पचता है। भोजन के तुरन्त बाद पानी पीने से शरीर फूलने लगता है, मोटा होता है। भोजन के एक घण्टे बाद पानी पीने से पाचन तन्त्र को शक्ति मिलती है।कोई भी व्यायाम करें तो उससे पहले पानी पी लें, जिससे आपकी मासपेशियों को एनर्जी मिल सके।एक दिन में लगभग दो से तीन घंटे के अन्तराल पर पानी जरुर पीना चाहिये क्योंकि इससे अंत:स्रावी ग्रंथियों का स्राव पर्याप्त मात्रा में निकलता रहता है तथा यह स्राव शरीर को स्वस्थ बनाये रखता है।
पानी कब अधिक पियें?-
उच्च रक्तदाब, बुखार , लू लगना, पेशाब की बीमारियाँ, हृदय की तेज धड़कन, कब्ज़, पेट में जलन आदि रोगों में अधिकाधिक पानी पीना चाहिए।गर्मियों में ज्यादा पसीना आने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है इस अवस्था में ज्यादा मात्रा में पानी पियें |खाली पेट पानी पीने के फायदे – व्रत या उपवास के समय शरीर के पाचन अंगों में भोजन नहीं होता है जिससे भोजन पचाने का काम धीमा पड़ जाता है | इस कारण पाचन तन्त्र में कई अशुद्धियों का निकालना प्रारंभ कर देती हैं। यह इसलिये उपावास के समय अधिक पानी पीना चाहिये जिससे यह अशुद्धियाँ पानी के साथ घुल कर शरीर से पेशाब के जरिये बाहर निकल जाये।
पानी पीने के सही तरीको और नियमो का पालन करके शरीर को बहुत सारे रोगों से मुक्त रखा जा सकता है | जैसा की आप सभी को ज्ञात होगा की मनुष्य के शरीर के पूरे वजन का लगभग दो तिहाई भाग पानी है, इसी से पानी की महत्वत्ता का पता चलता है | समान्य अवस्था में हमारे शरीर में प्रतिदिन प्राय: 2.6 लीटर पानी खर्च होता है। गुर्दो से 1.5 लीटर , त्वचा से 650 मि. ली., फेफड़ों से 320 मि.ली. और मल आदि में 130 मि.ली. पानी खर्च होता है जिसकी पूर्ति भोजन में रहने वाले जलांश से होती है फिर भी संतुलन बनाए रखने के लिए कम-से-कम 2.5 लीटर पानी प्रतिदिन पीना आवश्यक है। पानी की शरीर को जरुरत बहुत सारे कारको पर निर्भर करती है जैसे जलवायु , शारीरिक स्वास्थ्य , शारीरिक मेहनत , शरीर का भार आदि | इस पोस्ट में हम मुख्य रूप से निम्नलिखित विषयों पर जानकारी देंगे |
कितना पानी पीना चाहिए?पानी पीने का सही तरीकापानी कब पियें ?पानी कब ना पियें ?पानी कब अधिक पियें ?कितना पानी पीना चाहिए ?
पानी कैसे पियें ?तथा पानी पीने के नियम |
पानी एक साथ नहीं, धीरे-धीरे, घूंट-घूंट पीना चाहिए ताकि शरीर के तापमान के अनुसार वह पेट में पहुँचे। शरीर के तापमान के अनुसार ही पानी पीना चाहिए |कोशिश करें की प्लास्टिक से बने गिलास या बोतल से पानी न पियें |गिलास या बर्तन को होंठों से लगाकर पानी पीने के बजाए ऊपर से सीधे मुँह में डालकर पानी पीने का प्रचलन बढ़ता जा रहा है। इससे पेट की बीमारियों की आशंका बनी रहती है। पानी ऊपर से या एक साथ पीना मुँह से लेकर गुदा द्वार तक की आहार नाल में वायुदोष पैदा करता है और हवा ऊपर उठकर बदहजमी, खट्टी डकारें, अपच, जी मिचलाने जैसी बीमारियाँ हो जाती हैं।पानी की शुद्धता– पानी में तुलसी के पते डाले रखें। इससे पानी शुद्ध रहता है।
कितना पानी पीना चाहिए?
गर्म जलवायु में रहने वाले लोगो को कम से कम आठ लीटर पानी पीना चाहिए।बीमारी के समय भी पीना चाहिए, जिससे शरीर के अंदर ठण्डक पहुँचे और शरीर का तंत्र फिर शुरू हो जाए। एक स्वस्थ शरीर ही बीमारी से लड़ सकता है।पानी को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बार-बार पीना स्वास्थ्य के लिए हितकर माना गया है। प्यास के समय इच्छा के विपरीत बेहद दूँस-ढूँसकर पानी पीना हानिकारक होता है।भोजन, और घर से बाहर निकलने से पहले तीन घूंट पानी अवश्य पियें।सुबह नींद से उठते ही खाली पेट 2 गिलास हल्का गर्म पानी पीएं। क्योंकि नींद के दौरान लम्बे समय तक ताजा पानी शरीर के अंगो तक कम मात्रा में ही पंहुचता है जिससे विभिन्न अशुद्धियो की मात्रा बढ़ जाती है |सुबह पानी पीने से आपके शरीर की सारी गंदगियां पेशाब के जरिए बाहर निकलेगी और आपके शरीर के सारे अंग सुचारू रूप से काम करेंगे।रात को सोने से पहले तीन घूंट पानी पीना, स्वास्थ्यवर्धक होता है। दिन में ज्यादा पानी पीयें और जैसे जैसे शाम होने लगे, पानी की मात्रा को कम कर देना चाहिए, इससे आपको बार बार बाथरूम की ओर जाने की जरुरत महसूस होगी और आपकी नींद में व्यवधान पड़ेगा |देखें हमारा यह लेख – गहरी नींद के लिए आजमाए ये 26 टिप्स |स्नान- वृद्ध और कमजोर, बीमार मनुष्यों को छोड़कर, गर्म पानी की अपेक्षा ठण्डे जल से नहाना सबसे अच्छा होता है, चाहे मौसम सर्दी का ही क्यों न हो।ठण्डा स्नान शरीर व मन को अधिक ताजगी और सुखद अहसास कराता है।सप्ताह में एक बार शरीर पर पानी की भाप अवश्य देनी चाहिये। इससे शरीर की सफाई हो जाती है, रोम छिद्र खुल जाते हैं और शरीर की गन्दगी बाहर निकल कर (Skin) त्वचा पर चमक आ जाती है। दही से सवारें त्वचा और बालों को 22 टिप्स
पानी कब न पियें ?-
किसी भी गर्म भोजन, खीरा, खरबूजा, ककड़ी खाने के बाद, सोकर उठने के तुरन्त बाद चाहे दिन हो या रात, गर्म दूध या चाय पीने के बाद, धूप से आने के बाद तुरन्त पानी नहीं पीना चाहिए।भोजन करने के तुरंत बाद पानी कभी नहीं पीना चाहिए इससे आंतो में मौजूद पाचन रस पानी मिलने से अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पता है | कम से कम एक घंटे बाद पानी पियें |भोजन करने के पश्चात अगर पानी पीने की ज्यादा इच्छा हो तो जूस , दूध,लस्सी या दही लें |
पानी कब पियें ?-
पानी पीने का सही समय – भोजन से पहले पानी पीने से पाचनशक्ति कम हो जाती है, शरीर पतला होता है। भोजन के बीच में 5-6 घूंट पानी पीने से भोजन जल्दी पचता है। भोजन के तुरन्त बाद पानी पीने से शरीर फूलने लगता है, मोटा होता है। भोजन के एक घण्टे बाद पानी पीने से पाचन तन्त्र को शक्ति मिलती है।कोई भी व्यायाम करें तो उससे पहले पानी पी लें, जिससे आपकी मासपेशियों को एनर्जी मिल सके।एक दिन में लगभग दो से तीन घंटे के अन्तराल पर पानी जरुर पीना चाहिये क्योंकि इससे अंत:स्रावी ग्रंथियों का स्राव पर्याप्त मात्रा में निकलता रहता है तथा यह स्राव शरीर को स्वस्थ बनाये रखता है।
पानी कब अधिक पियें?-
उच्च रक्तदाब, बुखार , लू लगना, पेशाब की बीमारियाँ, हृदय की तेज धड़कन, कब्ज़, पेट में जलन आदि रोगों में अधिकाधिक पानी पीना चाहिए।गर्मियों में ज्यादा पसीना आने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है इस अवस्था में ज्यादा मात्रा में पानी पियें |खाली पेट पानी पीने के फायदे – व्रत या उपवास के समय शरीर के पाचन अंगों में भोजन नहीं होता है जिससे भोजन पचाने का काम धीमा पड़ जाता है | इस कारण पाचन तन्त्र में कई अशुद्धियों का निकालना प्रारंभ कर देती हैं। यह इसलिये उपावास के समय अधिक पानी पीना चाहिये जिससे यह अशुद्धियाँ पानी के साथ घुल कर शरीर से पेशाब के जरिये बाहर निकल जाये।
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